क्या है समाज – कार्य में निष्णात (एम्०एस०डब्लू)?
हाल के वर्षों में सोशल वर्क का प्रोफेशन विश्वव्यापी तौर पर बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। निर्धनता के काले साये में जीवन व्यतीत करने वाली बहुसंख्यक आबादी के लिए बेहतर जीवनयापन की न्यूनतम सुविधाएँ जुटाने में ये लोग प्रभावी एवं सार्थक कार्यकलाप कर रहे हैं। निस्संदेह समाज कल्याण की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण प्रोफेशन कहा जा सकता है।
एक समय था जबकि समाज कल्याण का काम निःस्वार्थ भावना पर ही पूर्णतः आधारित था लेकिन आज के संदर्भ में यह एक अहम प्रोफेशन का रूप ले चुका है। सोशल वर्क के क्षेत्र में भी अन्य प्रोफेशनों की भांति ट्रेंड और पारंगत लोगों की जरूरत पड़ने लगी है। इसी कारणवश अब तमाम तरह के ट्रेनिंग कोर्स और पाठ्यक्रम अस्तित्व में आ गए हैं।
इनमें से अधिकांश यूनीवर्सिटी में डिग्री एवं पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर उपलब्ध हैं। देश की प्रायः सभी महत्वपूर्ण यूनीवर्सिटी इस प्रकार के कोर्सेज संचालित करती हैं। इनमें दाखिले कुछ संस्थानों द्वारा मेरिट के आधार पर तो अन्य संस्थानों द्वारा चयन परीक्षा के आधार पर दिया जाता है।
जहाँ तक रोजगार और करियर विकास के अवसरों की बात है तो सरकारी और गैर सरकारी, दोनों ही क्षेत्रों में कई प्रकार की संभावनाएँ हो सकती हैं। सरकारी क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकारों के समाज कल्याण विभागों, सामुदायिक विकास के कार्यों, जनकल्याण के कार्यक्रमों, ग्रामीण विकास संबंधी योजनाओं के क्रियान्वयन, स्वास्थ्य सेवाओं के प्रचार-प्रसार, शिक्षा संबंधी विशिष्ट कार्यों में इनकी सेवाएं ली जाती हैं। दूसरी ओर गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), जिनमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों प्रकार के संगठन शामिल हैं, में इनकी जरूरत हमेशा बनी रहती है।
एनजीओ का विशाल नेटवर्क समूचे विश्व में दरिद्रता-अशिक्षा और उपेक्षित वर्ग की बड़ी आबादी को मुख्यधारा में लाने के लिए सार्थक तौर पर कार्यरत है। लाखों परिवारों को सक्षम बनाने और उनके लिए आय अर्जन के स्रोतों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में इनके योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता है। एनजीओ को अमूमन वित्तीय सहायता सरकारी एवं विदेशी संगठनों से बड़े पैमाने पर मिलती है। सिर्फ इसी मद पर दुनिया भर में अरबों-खरबों डॉलर के बराबर की राशि का प्रावधान विभिन्न देशों की सरकारों और अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों द्वारा किया जाता है।
बेचलर्स डिग्री इन सोशल वर्क के बाद ही करियर की शुरुआत की जा सकती है। प्रारंभिक स्तर पर अनुबंध आधार पर रोजगार के अवसर मिलते हैं। एम एस डब्ल्यू या मास्टर्स डिग्री इन सोशल वर्क के आधार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के एनजीओ और सरकारी समाज कल्याण विभागों में रोजगार मिल सकते हैं। इतना ही नहीं, स्वतंत्र रूप से अपना अलग एनजीओ भी इस क्रम में पंजीकृत कर प्रारंभ किया जा सकता है।
धनराशि एवं अन्य सहायता की व्यवस्था विभिन्न देशी और विदेशी स्रोतों से संभव हो सकती है। इस क्षेत्र में ऐसे ही धुन के युवाओं को आना चाहिए जो समाज की भलाई में विश्वास रखते हैं और निजी स्वार्थ को प्राथमिकता नहीं देते हैं।
समाज कार्य के क्षेत्र में रोजगार
1. सोशल सर्विस वर्कर
2. सोशल ग्रुप वर्कर
3. स्कूल काउंसलर
4. रिसर्च एनालिस्ट
5. सायकिएट्रिक सोशल वर्कर
6. मेडिकल सोशल वर्कर
7. इंडस्ट्रियल सोशल वर्कर
8. फैमिली काउंसलर
9. चाइल्ड वेलफेयर वर्कर
10. इंटरनेशनल सोशल वर्कर
देश और दुनिया के साथ साथ उत्तराखंड में भी कुशल और पेशेवर समाज कार्य कर्ताओं की कमी होने के कारन इस क्षेत्र में एम् ०बी ० ए काम कर रहे हैं .जो समाज कार्य के लिए उपयुक्त नहीं हैं.उत्तराखंड सरकार को इस सम्बन्ध में उचित नीति बनाने की आवश्यकता है,क्योकि उचित योग्यता वाले प्रत्याक्षियों को उचित कार्य न मिल पाना किसी भी सरकार की नाकामी को ही दर्शाता है.
उत्तराखंड में कुमाऊ विश्वविद्यालय नैनीताल ,हेमवतीनन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय ,श्रीनगर ,इग्नू ,के साथ-साथ उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी भी एम्०एस०डब्लू की शिक्षा प्रदान कर रहा है.जिससे पता चलता है की उत्तराखंड के युवाओं में इस विषय के प्रति जागरूकता बाद रही है.ऐसे में एम्०एस०डब्लू के स्थान समाज-कार्य से सम्बंधित स्थानों में एम०बी०ए ० अभ्यर्थियों को नियुक्ति देना न्याय संगत नहीं है.क्योकि एक व्यवसाय के कुशल प्रबंधन और समाज कार्य में धरती आसमान का अंतर है.जिसे समझते हुए सरकार को राज्य के विकास में समाज कार्य निश्नातों के उपयोग के विषय में स्पष्ट नीति बनाने की आवश्यकता है सादर सदैव आपका -----हेमचंद्र बहुगुणा

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